पृथ्वी की गति
पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है जिसपर जीवन है। पृथ्वी स्थिर नहीं है, बल्कि इसकी दो प्रकार की गतियाँ होती हैं:
घूर्णन एवं परिक्रमण
घूर्णन:
● पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व लट्टू की भाँति घूमती रहती है जिसे पृथ्वी का *घूर्णन या परिभ्रमण* कहते हैं। इसी के कारण दिन एवं रात होते हैं; इसलिए इसे दैनिक गति भी कहते हैं।
● नक्षत्र दिवस: एक मध्यान्ह रेखा के ऊपर किसी निश्चित नक्षत्र के उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच की अवधि को नक्षत्र दिवस कहते हैं। यह 23 घंटे 56 मिनट की अवधि का होता है।
● सौर दिवस: जब सूर्य को स्थिर मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप में की जाती है तो सौर दिवस ज्ञात होता है। इसकी अवधि ठीक 24 घंटे की होती है।
परिक्रमण:
● पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चतुर्दिक एक लध्वक्ष मार्ग पर 365. 26 दिन में एक चक्कर पूर्ण करती है। पृथ्वी सूर्य के चरों ओर 108000 किमी. / घंटा की गति से चक्कर लगाती है। पृथ्वी द्वारा चक्कर लगाए जाने वाले इस मार्ग को *‘भू-कक्षा’* कहते हैं; तथा पृथ्वी की इस गति को परिक्रमण या वार्षिक गति कहते हैं।
● उपसौर: पृथ्वी जब सूर्य के निकटतम (14. 70 करोड़ किमी. ) होती है तो इसे उपसौर कहते हैं। पृथ्वी यह स्थिथि 3 जनवरी को प्राप्त करती है।
● अपसौर: पृथ्वी जब सूर्य से दूरस्थ बिंदु पर (15. 21 करोड़ किमी. ) होती है तो इसे अपसौर कहते हैं। पृथ्वी यह स्थिथि 4 जुलाई को प्राप्त करती है।
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