भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ एवं उनके प्रमुख उद्देश्य India's Five Year Plans and Their Key Purposes

भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ

प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56)-

प्रथम पंचवर्षीय योजना हेराल्ड-डोमर मॉडल पर आधारित थी ।
इस योजना में सबसे अधिक प्राथमिकता कृषि क्षेत्र को दी गयी थी ।
वर्ष 1952 में इस योजना के अंतर्गत सामुदायिक विकास कार्यक्रम (community development programme) की शुरुआत की गयी थी ।
पहली योजना के दौरान कीमतों में 13% की गिरावट दर्ज हुई थी ।
इस योजना में कृषि के अतिरिक्त,  मूल्य स्थिरता,  बिजली और परिवहन पर ध्यान दिया गया था ।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61)-

यह योजना प्रो. पी.सी. महलानोबिस मॉडल पर आधारित थी ।
इसमें लक्षित विकास दर 4.5% और प्राप्त वास्तविक विकास दर 4.27% थी ।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना का प्रमुख उद्देश्य तेजी से औद्योगिकीकरण को प्राप्त करना था ।
विदेशी ऋणों की सहायता से अधिक आयात पर बल दिया गया था ।
इस योजना के दौरान कीमतों में 30% की वृद्धि दर्ज हुई थी ।

तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66)-

तीसरी पंचवर्षीय  योजना सैंडी एवं सुखमय मॉडल पर आधारित थी ।
इसमें लक्षित विकास दर 5.6% और प्राप्त वास्तविक विकास दर 2.84% थी ।
इस योजना का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘आत्मनिर्भर’ और ‘आत्म-सृजन’ अर्थव्यवस्था बनाना था ।
तीसरी योजना में निर्यात और उद्योग को समर्थन करने के लिए कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी।
चीनी आक्रमण (1962),  भारत-पाक युद्ध (1965) और गंभीर सूखा (1965-66) के कारण यह योजना लक्ष्य तक पहुंचने में पूर्णरूप से विफल रही।
वार्षिक योजना (1966-69)
इस काल को योजनावकास (Plan Holiday) कहा जाता है ।
इसमें हरित क्रांति का शुभारम्भ हुआ था ।
निर्यात में वृध्दि करने के लिए मुद्रा का अवमूल्यन किया गया था ।
गंभीर खाद्य समस्या के कारण 3 वर्षों के लिए वार्षिक योजना की शुरुआत हुई ।
इस योजनावकास के दौरान कृषि पर विशेष जोर दिया गया था ।
जिसके दौरान एक पूर्ण नई कृषि रणनीति लागू की गई थी।
जिसमें उच्च उपज देने वाले किस्मों का   व्यापक स्तर पर वितरण हुआ ।
इसके अतिरिक्त उर्वरकों के व्यापक उपयोग,  सिंचाई संसाधन और मृदा संरक्षण पर बल दिया गया था ।
वार्षिक योजनाओं से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आया था ।

चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74)-

यह योजना ऐलन एस. मात्रे व अशोक रूद्र मॉडल प्रयुक्त हुआ था ।
इस योजना के दौरान 1969 में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था ।
चौथी पंचवर्षीय योजना की अपूर्ण सफलता पर 1971 का युध्द और 1972 के तेल संकट का प्रभाव था ।
इस योजना में लक्षित विकास दर 5.7% और प्राप्त वास्तविक विकास दर 3.30% थी ।
चौथी पंचवर्षीय योजना में भी कृषि क्षेत्र के विकास पर जोर दिया गया था ।
जिससे अन्य क्षेत्रों को आगे बढ़ने में सक्षम बनाया जा सके ।
इस योजना के प्रथम दो वर्षों में अच्छे मानसून के कारण रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज हुआ ।
1971 में भारत-पाक युद्ध के समय बांग्लादेशी शरणार्थियों का एक महत्वपूर्ण मुद्दा था ।

पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-79)-

इस योजना का उद्देश्य आत्म-निर्भरता और गरीबी उन्मूलन था ।
जनता पार्टी सरकार ने अनवरत योजना (rolling plan) 1978-80 के दौरान चलाई थी ।
पांचवीं पंचवर्षीय योजना में 4.4% की विकास दर का लक्ष्य रखा गया था । लेकिन 3.8% की विकास दर ही प्राप्त हो सकी थी ।
यह योजना डी.डी. धर ने तैयार की थी ।
इस योजना के दो मुख्य उद्देश्य ‘गरीबी उन्मूलन’ अर्थात गरीबी हटाओ और ‘आत्मनिर्भरता की प्राप्ति’ था ।
यह योजना उच्च वृद्धि, बेहतर आय वितरण और घरेलू बचत की साक्ष्य बनी थी ।
जनता पार्टी सरकार के सत्ता में आने पर यह योजना 1979 के बजाय 1978 में समाप्त कर दी गयी थी ।
यह भी देखे :-

रोलिंग प्लान

(1978-80)  पहली छठी पंचवर्षीय योजना जनता सरकार (1978-1980) द्वारा दो वर्ष चली थी ।
कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने पर दूसरी बार छठी पंचवर्षीय योजना 1980-1985 चलायी गयी ।

छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85)-

यह रोजगार परक योजना थी ।
इसमें IRDP, TRYSEM आदि रोजगार योजना प्रारंभ हुई थी ।
यह योजना बंद अर्थव्यवस्था (Closed economy) पर आधारित थी ।
छठी पंचवर्षीय योजना 5.2% विकास दर के लक्ष्य की अपेक्षा 5.66% विकास दर प्राप्त हुई थी 
इस योजना का लक्ष्य राष्ट्रीय आय में वृद्धि,  प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण,  गरीबी और बेरोजगारी में सतत कमी आदि था ।
इसमें परिवार नियोजन आदि के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण को सुनिश्चित किया गया था ।

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)

इस योजना के तहत गरीबी और बेरोजगारी के कार्यक्रम प्रारंभ हुए थे ।
इस योजना में आधुनिकीकरण पर बल दिया गया था ।
यह योजना अत्यधिक सफल रही थी ।
इसमें  अर्थव्यवस्था में लक्षित 5% के मुकाबले 6% की विकास दर दर्ज हुई थी ।
अनाज के उत्पादन में तीव्र वृद्धि,  रोजगार सृजन में वृध्दि आदि मुख्य उद्देश्य थे ।

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