भारत में लोकपाल
लोकपाल आखिर चर्चा में क्यों हैं
- रिश्वत लेने वाले के साथ-साथ देने वाले के लिए सजा का प्रावधान और भ्रष्टाचार से संबंधित मामले के दो साल में निस्तारण से संबंधित भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक 2018 को 24 जुलाई 2018 को संसद की मंजूरी मिल गई है।
- भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) विधेयक 2018 को पेश करते हुए कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयक उन अधिकरियों को सुरक्षा प्रदान करेगा, जो अपना कार्य ईमानदारी से करते हैं।
लोकपाल क्या है ?
- लोकपाल एक भ्रष्टाचार विरोधी प्राधिकरण है जो जनता के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
- लोकपाल की यह अवधारणा स्वीडन से ली गयी है। भ्रष्टाचार के मामलों में लोकपाल के पास संसद के सभी सदस्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर अधिकार क्षेत्र होता है।
लोकपाल की विशेषता
- भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) विधेयक 2018 में भ्रष्टाचार के मामलों में शीध्र सुनवाई सुनिश्चित करने का प्रावधान है।
- मंत्री ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस के प्रति वचनबद्ध है।
- विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ तीन से लेकर सात साल जेल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है।
- यह विधेयक भ्रष्टाचार की रोकथान अधिनियम 1988 में संशोधन करता है।
- इस विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ 3 से लेकर 7 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
यह भी जानें
- बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून करीब तीन दशक पुराना है।
- इसमें संशोधन की कवायद 2013 में हुई थी। इस विधेयक को पहले संसदीय समिति के पास विचार के लिए भेजा गया था।
- इसके बाद विधि विशेषज्ञों की समिति और फिर वर्ष 2015 में चयन समिति के पास भेजा गया।
- इस समिति ने 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 2017 में बिल को संसद में लाया गया, लेकिन इस पर कोई फैसला तब नहीं हो सका था।
विधेयक का महत्व
- संसद के दोनों सदनों द्वारा इस बिल को पारित किया जाना स्वयं में महत्वपूर्ण है।
- इस दृष्टि से कि अतीत में लोकपाल कानून बनाने के सभी प्रयास विफल रहे।
- लोकसभा में लोकपाल पर आठ विधेयक पेश किये गये थे, लेकिन 1985 के विधेयक को छोड़कर विभिन्न लोकसभाओं के भंग होने के कारण ये विधेयक अधर में रह गये।
- वर्तमान विधेयक को सदन के दोनों सदनों से मिली मंजूरी कारगर भ्रष्टाचार विरोधी ढांचा बनाने के संसद तथा सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देती है।
- इस विधेयक की अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि सिविल सोसायटी सहित सभी हितधारकों से लगातार विचार-विमर्श के बाद इसको वर्तमान रूप दिया गया।
- लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक स्वतंत्र भारत के इतिहास में एकमात्र विधेयक है, जिस पर संसद और संसद से बाहर व्यापक चर्चा हुई।
- इस चर्चा से लोगों में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल की कारगर संस्था की जरूरत महसूस हुई।
पृष्ठभूमि
- सरकार ने 8 अप्रैल, 2011 को लोकपाल विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए एक संयुक्त प्रारूप समिति का गठन किया।
- विधेयक के मूलभूत सिद्धान्तों पर व्यापक चर्चा हुई।
- सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों तथा सरकार के प्रतिनिधियों की राय भिन्न होने के कारण लोकपाल विधेयक के दो अलग-अलग मसौदे बने।
- सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने जन लोकपाल विधेयक का मसौदा बनाया और सरकार की तरफ से विधेयक का प्रारूप तैयार किया गया।
- 3 जुलाई, 2011 को सर्वदलीय बैठक हुई। इसके बाद 4 अगस्त, 2011 को सरकार ने लोकसभा में लोकपाल विधेयक, 2011 पेश किया।
- विधेयक को समीक्षा और रिपोर्ट के लिए कार्मिक, जन शिकायत, विधि और न्याय विभाग की स्थायी समिति को भेजा गया।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं -
(क) केंद्र में लोकपाल तथा राज्य के स्तर पर लोकायुक्त संस्था का गठन कर देश के लिए एक रूप निगरानी तथा भ्रष्टाचार विरोधी मानचित्र प्रस्तुत करना।(ख) लोकपाल संस्था में एक अध्यक्ष तथा 8 सदस्य होंगे इनमें से 50 प्रतिशत सदस्य न्यायिक क्षेत्र के होंगे। लोकपाल के 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूची जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों , अल्प संख्यकों तथा महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे।
(ग) लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन एक चयन समिति करेगी। इसके निम्न सदस्य होंगे:-
● प्रधानमंत्री
● लोकसभा अध्यक्ष
● लोकसभा में विपक्ष के नेता
● भारत के प्रधान न्यायाधीश या भारत के प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायालय का वर्तमान न्यायाधीश
● भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रख्यात न्याययाय
यह भी देखें :-
- भारतीय मूल अधिकार के बारे में रोचक तथ्य (Indian Origin)
- भारत के प्रमुख संस्थान एवं उनके मुख्यालय Major institutions of India and their headquarters
- भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ एवं उनके प्रमुख उद्देश्य India's Five Year Plans and Their Key Purposes
- भारत के प्रमुख नगर और उनके संस्थापक व उनके उपनाम Major cities of India and their founders and their nickname
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें